जानिए कैसे काम करती है सब्जी मंडी, शेयर बाजार की तरह वहां भी होते हैं कार्टेल, देखिए किस तरह लुटते हैं किसान!
कई बार आपने ऐसी खबरें भी सुनी होंगी कि किसी किसान ने कई कुंटल टमाटर या प्याज या आलू सड़कों पर फेंक दिया. अब सवाल ये है कि आखिर अच्छी पैदावार होने के बावजूद मंडी में रेट क्यों नहीं मिलता? इसे समझने के लिए हमें ये समझना होगा कि मंडी काम कैसे (How Sabji Mandi Works) करती है.
भारत एक कृषि (Agriculture) प्रधान देश है, ये तो हर कोई जानता है. यहां के किसानों की हालत भी किसी से छुपी नहीं है. वैसे तो किसानों (Indian Farmers) को सरकार की तरफ से तमाम रियायतें दी जाती हैं, लेकिन बावजूद इसके भारत में किसानों की हालत बेहतर नहीं हो रही है. कभी बारिश कम होने की वजह से नुकसान हो जाता है तो कभी बारिश अधिक होने की वजह से नुकसान झेलना पड़ता है. वहीं अगर सब कुछ अच्छा हो गया और किसान की पैदावार शानदार रही तो मंडी (Sabji Mandi) में रेट अच्छे नहीं मिलते. कई बार आपने ऐसी खबरें भी सुनी होंगी कि किसी किसान ने कई कुंटल टमाटर या प्याज या आलू सड़कों पर फेंक दिया. अब सवाल ये है कि आखिर अच्छी पैदावार होने के बावजूद मंडी में रेट क्यों नहीं मिलता? इसे समझने के लिए हमें ये समझना होगा कि मंडी काम कैसे (How Sabji Mandi Works) करती है. आपको शायद जानकर हैरानी हो सकती है लेकिन सब्जी मंडी में भी शेयर बाजार (Share Market) की तरह कार्टेल (कुछ लोगों का समूह) बनाकर कुछ लोग मुनाफा कमाते हैं, जबकि किसान नुकसान झेलता है. आइए जानते हैं सब्जी मंडी और शेयर बाजार में कितनी सारी समानताएं होती हैं.
शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे एजेंट होते हैं सब्जी मंडी में
मंडी में किसान अच्छे दाम पर अपनी सब्जियां या फल नहीं बेच पाता है, क्योंकि वहां भी डिमांड-सप्लाई वाला फॉर्मूला काम करता है. डिमांड ज्यादा होती है और सप्लाई कम तो दाम अच्छे मिल जाते हैं, वरना उल्टा होता है. अगर आप कभी सब्जी मंडी नहीं गए हैं तो आपको बता दें कि सब्जी मंडी में भी शेयर बाजार के ब्रोकर जैसे एजेंट होते हैं. ये एजेंट आपकी सब्जी की बोली लगाते हैं और वहां बहुत सारे खरीदार सब्जी को खरीदने के लिए खड़े रहते हैं. इन एजेंट के बिना आप मंडी में सब्जी नहीं बेच पाएंगे.
शेयर बाजार की तरह कीमतों में आता है उतार-चढ़ाव
जिस तरह शेयर बाजार में जिस शेयर की मांग बढ़ती है, उसका भाव बढ़ता जाता है, उसी तरह सब्जी मंडी में भी होता है. सबसे पहले एजेंट किसान की सब्जी देखकर उस वक्त चल रहे भाव के हिसाब से बोली लगाना शुरू करता है. अगर किसान की सब्जी की डिमांड ज्यादा होती है तो बोली बढ़ती जाती है, वहीं डिमांड कम होने पर भाव गिराना पड़ता है. जिस भाव पर ग्राहक और विक्रेता दोनों राजी हो जाते हैं, उस भाव पर सब्जी बिक जाती है. वहीं, जिस तरह आपको शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए एक ब्रोकरेज चार्ज देना पड़ता है, उसी तरह सब्जी मंडी में भी एजेंट को एक कमीशन चुकाना होता है.
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
इंट्राडे में तुरंत खरीद लें ये स्टॉक्स! कमाई के लिए एक्सपर्ट ने चुने बढ़िया और दमदार शेयर, जानें टारगेट और Stop Loss
कई बार लोग सोचते हैं कि सब्जी या फल किसानों को उस दिन बेचने जाना चाहिए, जिस दिन रेट अच्छे हों. दरअसल, हम-आप सब्जियों के जो रेट पूरे दिन देखते हैं या कुछ दिनों तक देखते हैं, वह मंडी के रेट से काफी अलग होते हैं. मंडी में तमाम सब्जियों और फलों की बोली लगाकर उन्हें बेच जाता है. यही वजह है कि किसान पहले से ये नहीं जान पाते कि उनकी पैदावार किस भाव पर बिकेगी. वहीं सब्जी मंडी में भाव मिलना या ना मिलना इस बात पर तय करता है कि डिमांड और सप्लाई कैसी रहती है. जरूरी नहीं कि रिटेल मार्केट में टमाटर 40 रुपये किलो बिक रहा हो तो मंडी में भी आपको ऊंचा भाव मिलेगा.
शेयर बाजार की तरह ऐसे कार्टल बनाकर लूटे जाते हैं किसान!
कई बार आपको शेयर बाजार के बारे में ऐसी खबर मिलती होगी कि कुछ लोगों पर साठ-गांठ कर के शेयरों की कीमतों को मैनिपुलेट करने का आरोप लगा है. खैर, बहुत सारे लोग तो ऐसे भी होते हैं तो नियमित तौर पर ऐसा करते हैं, लेकिन कभी पकड़े नहीं जाते. सब्जी मंडी में भी ऐसे खेल काफी खेले जाते हैं. जब मंडी में खरीदारों की कमी होती है और किसान अपनी पैदावार बेचने आता है तो उसे औने-पौने दाम ऑफर किए जाते हैं. किसान के सामने दो विकल्प होते हैं. या तो वह अपनी पैदावार वापस ले जाए और फिर कुछ दिन बाद या अगले दिन आए, जिसमें उसका काफी खर्चा भी होगा. या फिर उसके सामने ये विकल्प होता है कि वह कम दाम में ही अपना सामान बेच दे. ऐसे बहुत सारे किसान होते हैं जो दूसरा विकल्प चुनते हैं, क्योंकि अगले दिन भी आकर दाम मिलेगा या नहीं या दाम और गिर जाएगा, ये कहा नहीं जा सकता. इसी वजह से आपको कई बार किसानों की फसल कौड़ी के भाव बिकने की खबरें सुनने को मिलती हैं.
शेयर बाजार की तरह लगते हैं कई चार्ज
अगर आपने कभी शेयर बाजार में खरीद-फरोख्त की हो तो आपको पता ही होगा कि आपको ब्रोकरेज, ट्रांजेक्शन टैक्स, डीपी चार्ज जैसे कई चार्ज देने पड़ते हैं. इसी तरह आपको सब्जी मंडी में भी कई तरह के चार्ज देने पड़ते हैं. किसान को सब्जी मंडी में सबसे पहले तो मंडी टैक्स चुकाना होता है. वहीं जो एजेंट बोली लगवाता है, उसे एक कमीशन भी देना पड़ता है. अगर पैदावार ज्यादा है तो उतारने-चढ़ाने में लगने वाली पल्लेदारी का खर्च भी चुकाना होता है. इन सब के बाद जो पैसा बचता है, वह किसान को मिलता है.
10:34 AM IST